भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG)
भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG): जनता के धन के सच्चे संरक्षक
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| Comptroller and Auditor General of India (CAG) – भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक |
🏛️ परिचय
नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) भारत के वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता के सबसे बड़े रक्षक हैं।
संविधान के अनुच्छेद 148 के अंतर्गत स्थापित, यह संस्था केंद्र और राज्य सरकारों के सभी राजस्व और व्यय की लेखा परीक्षा करती है।
CAG को अक्सर “लोक धन का संरक्षक” कहा जाता है क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि जनता के टैक्स का हर पैसा सही जगह खर्च हो।
📜 संवैधानिक स्थिति और अनुच्छेद
CAG एक स्वतंत्र संवैधानिक निकाय है — यह संसद या राज्य विधानमंडल के अधीन नहीं है।
इसकी शक्तियाँ और दायित्व को संविधान के अनुच्छेद 148 से 151 तक निर्धारित हैं।
| अनुच्छेद | विवरण |
|---|---|
| अनुच्छेद 148 | राष्ट्रपति द्वारा CAG की नियुक्ति |
| अनुच्छेद 149 | CAG के कर्तव्य और शक्तियाँ |
| अनुच्छेद 150 | संघ और राज्य सरकारों के खातों का स्वरूप निर्धारित करना |
| अनुच्छेद 151 | राष्ट्रपति/राज्यपाल को लेखा परीक्षा रिपोर्ट प्रस्तुत करना |
| अनुच्छेद 279 | करों के शुद्ध उपादान की गणना |
CAG का उल्लेख संविधान की तीसरी अनुसूची और छठी अनुसूची में भी किया गया है।
नियुक्ति, शपथ और स्वतंत्रता
- CAG की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- वे तीसरी अनुसूची (भाग IV) में वर्णित शपथ लेते हैं — संविधान के प्रति सच्ची निष्ठा और निष्ठुर ईमानदारी की शपथ।
- यह शपथ मुख्य न्यायाधीश (CJI) और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के समान है।
- CAG का वेतन और भत्ते संसद द्वारा तय किए जाते हैं (उल्लेख: दसवीं अनुसूची) और एक बार नियुक्ति के बाद इन्हें उनके प्रतिकूल कम नहीं किया जा सकता।
- सेवानिवृत्ति या इस्तीफे के बाद, CAG किसी भी सरकारी पद पर नियुक्त नहीं हो सकता।
⏳ कार्यकाल और आयु सीमा
- कार्यकाल: 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु, जो पहले पूरी हो।
- संविधान में आयु का उल्लेख नहीं है, लेकिन यह CAG (Duties, Powers & Conditions of Service) Act, 1971 में निर्दिष्ट है।
कर्तव्य और कार्यक्षेत्र
CAG निम्नलिखित का लेखा परीक्षण करता है —
- केंद्र एवं राज्य सरकारों की सभी रसीदें और व्यय
- सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियाँ एवं स्वायत्त संस्थाएँ
- लोक उपक्रम (PSUs) का वित्तीय प्रदर्शन
CAG की रिपोर्टें —
- भारत सरकार से संबंधित रिपोर्टें CAG द्वारा राष्ट्रपति को सौंपी जाती हैं, जो उनके द्वारा संसद में प्रस्तुत की जाती हैं।
- राज्य सरकारों की रिपोर्टें राज्यपाल को दी जाती हैं, जो विधानमंडल में प्रस्तुत की जाती हैं।
नोट :- CAG का कार्य Ex-Post Facto होता है — यानी व्यय होने के बाद उसकी जांच करना, न कि पहले से अनुमति देना।
अन्य देशों से तुलना
| देश | नियुक्ति प्रक्रिया | संस्था की प्रकृति |
|---|---|---|
| भारत | राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त, स्वतंत्र संवैधानिक संस्था | स्वतंत्र |
| यूके (UK) | संसद के सदस्यों द्वारा नियुक्त | संसदीय |
| अमेरिका (USA) | विधायिका द्वारा नियुक्त | विधायी |
नोट:- भारत में CAG केवल Auditor General है, न कि Comptroller, यानी यह खर्च की अनुमति नहीं देता, बल्कि बाद में उसका ऑडिट करता है।
संरचना और विभाग
CAG, भारतीय लेखा एवं लेखा परीक्षा विभाग (Indian Audit and Accounts Department) का प्रमुख होता है।
इस पद पर नियुक्ति सामान्यतः IAS (Indian Administrative Service) या IA&AS (Indian Audit and Accounts Service) से की जाती है।
डॉ. बी. आर. अंबेडकर का दृष्टिकोण
संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर ने CAG की भूमिका पर कहा था —
“CAG संविधान का सबसे महत्वपूर्ण अधिकारी है — न्यायपालिका से भी अधिक।”
यह कथन इस बात को रेखांकित करता है कि CAG शासन में वित्तीय सत्यनिष्ठा और पारदर्शिता बनाए रखने की सबसे बड़ी गारंटी है।
CAG की निष्पक्ष भूमिका
CAG का कार्य स्वभावतः विरोधात्मक (Adversarial) होता है।
इसका निर्णय सिर्फ “हाँ” या “नहीं” में होता है — बीच का कोई रास्ता नहीं।
यह सुनिश्चित करता है कि वित्तीय अनुशासन और जवाबदेही हर स्तर पर बनी रहे।
निष्कर्ष
भारत का नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) लोकतंत्र की आत्मा है — वह संस्था जो शासन के हर स्तर पर जनता के धन की रक्षा करती है।
CAG न सिर्फ सरकार के खर्च पर निगरानी रखता है, बल्कि पारदर्शिता और संविधान की गरिमा को भी बनाए रखता है।
जैसा कि डॉ. अंबेडकर ने कहा था —
“CAG संविधान का सबसे महत्वपूर्ण कार्यकारी अधिकारी है।”
वास्तव में, CAG भारतीय लोकतंत्र का मौन प्रहरी है — स्वतंत्र, निष्पक्ष और अपरिहार्य।
🔖 लेखक: EPN World Editorial Desk
📅 विषय श्रेणी: भारतीय संविधान | प्रशासनिक संस्थाएँ | लोक वित्त

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